जानें अपने कुंडली के सितारों से आपकी शादी Love होगी या Arranged

तो अगर आप भी जानना चाहते है कि आपकी कुंडली क्या कहती है तो नीचे फॉर्म में अपनी जानकारी सही से भरे

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वैदिक एस्ट्रोलॉजी के अनुसार, हम कई विभिन्न तत्वों का ध्यान में रखते हैं जो किसी व्यक्ति की शादी के प्रकार को पूर्वानुमानित करने में मदद करते हैं। 

जैसे – कुंडली में स्थित ग्रहों की स्थिति, दशाओं का प्रभाव, नक्षत्रों का महत्व, और अन्य ज्योतिषीय गणित।

ज्योतिषीय गणित में, जन्म कुंडली के द्वारा व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण किया जाता है। 

इसके द्वारा हम यह देखते हैं कि प्रेम विवाह या व्यवस्थित विवाह का सम्भावित योग है।

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प्रेम विवाह के लिए, हम व्यक्ति की कुंडली में प्रेम संबंधित ग्रहों, जैसे कि वेनस (Venus) और मंगल (Mars), की स्थिति और संयोग का मूल्यांकन करते हैं।

इसके अलावा, प्रेम योगों, जैसे कि लग्नेश और सप्तमेश के संयोग भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

व्यवस्थित विवाह के लिए, हम देखते हैं कि क्या व्यक्ति की कुंडली में कोई शुभ संयोग है

जो परिवारों के बीच शादी का आयोजन करते हैं। यह तत्व बालाजी के योग, जैसे कि कुंडली में कन्जी लग्न, साथ ही विशेष ग्रहों के संयोगों का मूल्यांकन करते हैं।

शादी के प्रकार का अनुमान लगाने के लिए विभिन्न तत्वों का मूल्यांकन करते हैं। यहां कुछ मुख्य तत्वों का उल्लेख है जो इस प्रकार के पूर्वानुमान में महत्वपूर्ण होते हैं:

  1. सप्तम भाव का महत्व: ज्योतिष में, सप्तम भाव विवाह के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति और संयोग शादी के प्रकार का अनुमान लगाने में मदद करते हैं।

  2. लग्नेश और सप्तमेश की स्थिति: जन्म कुंडली में लग्नेश और सप्तमेश की स्थिति भी महत्वपूर्ण होती है। यदि ये ग्रह या उनके संयोग प्रेम या व्यवस्थित विवाह का समर्थन करते हैं, तो व्यक्ति के विवाह के प्रकार का अनुमान लगाया जा सकता है।

  3. ग्रहों की स्थिति और संयोग: विभिन्न ग्रहों की स्थिति और संयोग भी विवाह के प्रकार को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, वेनस और मंगल के संयोग प्रेम विवाह का संकेत हो सकता है।

  4. योगों का महत्व: ज्योतिष में, कुछ विशेष योग भी विवाह के प्रकार को सुझा सकते हैं। उनमें गण्डमूल योग, अनार्ध योग, और महापुरुष योग जैसे योग शामिल हो सकते हैं।